बडे नाम का चमत्कार

एक समय की बात है एक वन में हाथियों का एक झुंडरहता था। उस झुंड का सरदार चतुर्दंत नामक एक विशाल, पराक्रमी, गंभीर व समझदार हाथी था। सब उसी की छत्र-छाया में शुख से रहते थे। वह सबकी समस्याएं सुनता। उनका हल निकालता, छोटे-बडे सबका बराबर ख्याल रखता था। एक बार उस क्षेत्र में भयंकर सूखा पडा। वर्षों पानी नहीं बरसा। सारे ताल-तलैया सूखने लगे। पेड-पौधे कुम्हला गए धरती फट गई, चारों और हाहाकार मच गई। हर प्राणी बूंद-बूंद के लिए तरसता गया। हाथियों ने अपने सरदार से कहा “सरदार, कोई उपाय सोचिए। हम सब प्यासे मर रहे हैं। हमारे बच्चे तडप रहे हैं।” चतुर्दंत पहले ही सारी समस्या जानता था। सबके दुख समझता था पर उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या उपाय करे। सोचते-सोचते उसे बचपन की एक बात याद आई और चतुर्दंत ने कहा “मुझे ऐसा याद आता हैं कि मेरे दादाजी कहते थे, यहां से पूर्व दिशा में एक ताल हैं, जो भूमिगत जल से जुडे होने के कारण कभी नहीं सूखता। हमें वहां चलना चाहिए।” सभी को आशा की किरण नजर आई। हाथियों का झुंड चतुर्दंत द्वारा बताई गई दिशा की ओर चल पडा। बिना पानी के दिन की गर्मी में सफरकरना कठिन था, अतः हाथी रात को सफर करते। पांच रात्रि के बाद वे उस अनोखे ताल तक पहुंच गए। सचमुच ताल पानी से भरा था सारे हातियों ने खूब पानी पिया जी भरकर ताल में नहाए व डुबकियांलगाईं।उसी क्षेत्र में खरगोशों की घनी आबादी थी। उनकीशामत आ गई। सैकडों खरगोश हाथियों के पैरों-तलेकुचले गए। उनके बिल रौंदे गए। उनमें हाहाकार मच गया।बचे-कुचे खरगोशों ने एक आपातकालीन सभा की। एकखरगोश बोला “हमें यहां से भागना चाहिए।”एक तेज स्वभाव वाला खरगोश भागने के हक में नहींथा। उसने कहा “हमें अक्ल से काम लेना चाहिए। हाथीअंधविश्वासी होते हैं। हम उन्हें कहेंगे कि हम चंद्रवंशीहैं। तुम्हारे द्वारा किए खरगोश संहार से हमारे देवचंद्रमा रुष्ट हैं। यदि तुम यहां से नहीं गए तो चंद्रदेव तुम्हेंविनाश का श्राप देंगे।”एक अन्य खरगोश ने उसका समर्थन किया “चतुर ठीककहता हैं। उसकी बात हमें माननी चाहिए। लंबकर्णखरगोश को हम अपना दूत बनाकर चतुर्दंत के पास भेंजेगे।”इस प्रस्ताव पर सब सहमत हो गए। लंबकर्ण एक बहुत चतुरखरगोश था। सारे खरगोश समाज में उसकी चतुराई कीधाक थी। बातें बनाना भी उसे खूब आता था। बात सेबात निकालते जाने में उसका जवाब नहीं था। जबखरगोशों ने उसे दूत बनकर जाने के लिए कहा तो वह तुरंततैयार हो गया। खरगोशों पर आए संकट को दूर करके उसेप्रसन्नता ही होगी। लंबकर्ण खरगोश चतुर्दंत के पासपहुंचा और दूर से ही एक चट्टान पर चढकर बोला“गजनायक चतुर्दंत, मैं लंबकर्ण चन्द्रमा का दूत उनका संदेशलेकर आया हूं। चन्द्रमा हमारे स्वामी हैं।”चतुर्दंत ने पूछा ” भई,क्या संदेश लाए हो तुम ?”लंबकर्ण बोला “तुमने खरगोश समाज को बहुत हानिपहुंचाई हैं। चन्द्रदेव तुमसे बहुत रुष्ट हैं। इससे पहले कि वहतुम्हें श्राप देदें, तुम यहां से अपना झुंड लेकर चले जाओ।”चतुर्दंत को विश्वास न हुआ। उसने कहा “चंद्रदेव कहां हैं?मैं खुद उनके दर्शन करना चाहता हूं।”लंबकर्ण बोला “उचित हैं। चंद्रदेव असंख्य मॄत खरगोशोंको श्रद्धांजलि देने स्वयं ताल में पधारकर बैठे हैं, आईए,उनसे साक्षात्कार कीजिए और स्वयं देख लीजिए किवे कितने रुष्ट हैं।” चालाक लंबकर्ण चतुर्दंत को रात मेंताल पर ले आया। उस रात पूर्णमासी थी। ताल में पूर्णचंद्रमा का बिम्ब ऐसे पड रहा था जैसे शीशे मेंप्रतिबिम्ब दिखाई पडता हैं। चतुर्दंत घबरा गयाचालाक खरगोश हाथी की घबराहट ताड गया औरविश्वास के साथ बोला “गजनायक, जरा नजदीक सेचंद्रदेव का साक्षात्कार करें तो आपको पता लगेगाकि आपके झुंड के इधर आने से हम खरगोशों पर क्याबीती हैं। अपने भक्तों का दुख देखकर हमारे चंद्रदेवजी केदिल पर क्या गुजर रही है|”लंबकर्ण की बातों का गजराज पर जादू-सा असर हुआ।चतुर्दंत डरते-डरते पानी के निकट गया और सूंड चद्रंमा केप्रतिबिम्ब के निकट ले जाकर जांच करने लगा। सूंडपानी के निकट पहुंचने पर सूंड से निकली हवा से पानीमें हलचल हुई और चद्रंमा ला प्रतिबिम्ब कई भागों में बंटगया और विकॄत हो गया। यह देखते ही चतुर्दंत के होशउड गए। वह हडबडाकर कई कदम पीछे हट गया। लंबकर्णतो इसी बात की ताक में था। वह चीखा “देखा,आपको देखते ही चंद्रदेव कितने रुष्ट हो गए! वह क्रोध सेकांप रहे हैं और गुस्से से फट रहे हैं। आप अपनी खैर चाहते हैंतो अपने झुंड के समेत यहां से शीघ्रातिशीघ्र प्रस्थानकरें वर्ना चंद्रदेव पता नहीं क्या श्राप देदें।”चतुर्दंत तुरंत अपने झुंड के पास लौट गया और सबकोसलाह दी कि उनका यहां से तुरंत प्रस्थान करना हीउचित होगा। अपने सरदार के आदेश को मानकरहाथियों का झुंड लौट गया। खरगोशों में खुशी कीलहर दौड गई। हाथियों के जाने के कुछ ही दिनपश्चात आकाश में बादल आए, वर्षा हुई और सारा जलसंकट समाप्त हो गया। हाथियों को फिर कभी उसओर आने की जरूरत ही नहीं पडी।सीखः चतुराई से शारीरिक रुप से बलशाली शत्रु कोभी मात दी जा सकती हैं।
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