Tuesday, October 6, 2015

बंजारे की बुद्धि

  

    एक बंजारा था। वह बैलों पर मिट्टी (मुल्तानी मिट्टी) लादकर दिल्ली की तरफ आ रहा था। रास्ते में कई गांवो से गुजरते समय उसकी बहुत-सी मिट्टी बिक गई। बैलों की पीठ पर लदे बोरे आधे तो खाली हो गए और आधे भरे रह गए।अब वे बैलों की पीठ पर कैसे टिकें क्योंकि भार एक तरफ ज्यादा हो गया था।नौकरों ने पूछा कि क्या करें  बंजारा बोला अरे सोचते क्या हो बोरों के एक तरफ रेत (बालू) भर लो। यह राजस्थानी जमीन है, यहां रेत बहुत है। नौकरों ने वैसा ही किया। बैलों की पीठ पर एक तरफ आधे बोरे में मिट्टी हो गई और दूसरी तरफ आधे बोरे में रेत हो गई।दिल्ली से एक सज्जन उधर आ रहे थे। उन्होंने बैलों पर लदे बोरों में से एक तरफ रेत गिरते हुए देखी तो बोले कि बोरों में एक तरफ रेत क्यों भरी है नौकरों ने कहा- 'सन्तुलन करने के लिये वे सज्जन बोले-अरे यह तुम क्या मूर्खता करते हो तुम्हारा मालिक और तुम एक से ही हो। बैलों पर मुफ्त में ही भार ढोकर उनको मार रहे हो मिट्टी के आधे-आधे दो बोरों को एक ही जगह बांध दो तो कम-से-कम आधे बैल तो बिना भार के चलेंगे।
   नौकरों ने कहा कि आपकी बात तो ठीक जंचती है, पर हम वही करेंगे, जो हमारा मालिक कहेगा। आप जाकर हमारे मालिक से यह बात कहो और उनसे हमें आदेश दिलवाओ। वह राहगीर (बंजारे) से मिला और उससे बात कही। बंजारे ने पूछा कि आप कहां के हैं कहां जा रहे हैं उसने कहा कि मैं भिवानी का रहने वाला हूं रुपए कमाने के लिए दिल्ली गया था। कुछ दिन वहां रहा, फिर बीमार हो गया। जो थोड़े रुपए कमाए थे, वे खर्च हो गये। व्यापार में घाटा लग गया। पास में कुछ रहा नहीं तो विचार किया कि घर चलना चाहिये।उसकी बात सुनकर बंजारा नौकरों से बोला कि इनकी सलाह मत लो।अपने जैसे चलते हैं, वैसे ही चलो।इनकी बुद्धि तो अच्छी दिखती है, पर उसका नतीजा ठीक नहीं निकलता नहीं तो ये अबतक धनवान हो जाते। हमारी बुद्धि भले ही ठीक न दिखे, पर उसका नतीजा ठीक होता है मैंने कभी अपने काम में घाटा नहीं उठाया बंजारा अपने बैलों को लेकर दिल्ली पहुंचा। वहां उसने जमीन खरीदकर मिट्टी और रेत दोनों का अलग-अलग ढेर लगा दिया और नौकरों से कहा कि बैलों को जंगल में ले जाओ और जहां चारा-पानी हो, वहां उनको रखो।यहां उनको चारा खिलायेंगे तो नफा कैसे कमाएंगे मिट्टी बिकनी शुरु हो गई।उधर दिल्ली का बादशाह बीमार हो गया।बादशाह के हकीम ने सलाह दी कि अगर बादशाह राजस्थान के धोरे (रेत के टीले) पर रहें तो उनका शरीर ठीक हो सकता है। रेत में शरीर को निरोग करने की शक्ति होती है। इसलिए बादशाह को राजस्थान भेज देना ठीक रहेगा।तब एक दरबारी ने कहा कि राजस्थान क्यों भेजें वहां की रेत यहीं मंगा लेते हैं,अरे यह दिल्ली का बाजार है, यहां सब कुछ मिलता है मैंने एक जगह रेत का ढेर लगा हुआ देखा है।'बादशाह-अच्छा तो फिर जल्दी रेत मंगवा लो।बादशाह के आदमी बंजारे के पास गए और उससे पूछा कि रेत क्या भाव है ? बंजारा बोला कि चाहे मिट्टी खरीदो, चाहे रेत खरीदो, एक ही भाव है। दोनों बैलों पर बराबर तुलकर आए हैं।
बादशाह के - कारिंदों ने वह सारी रेत खरीद ली अगर बंजारा दिल्ली से आए उस सज्जन की बात मानता तो ये मुफ्त के रुपए कैसे मिलते । जाहिर तौर पर बंजारे की बुद्धि ठीक काम करती थी।

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